Ram Navami Puja 2023: ये है रामनवमी पूजा का सबसे शुभ समय, जानिए किसके अवतार थे भरत, शत्रुघ्न

कब मनाई जाएगी रामनवमीः चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन भगवान राम का अवतार हुआ था, इसके बाद से इस तिथि को रामनवमी के नाम से जाना जाने लगा। पंचांग के अनुसार रामनवमी 2023 तिथि की शुरुआत 29 मार्च रात 9.07 बजे से शुरू हो गई है, जो 30 मार्च रात 11.30 बजे संपन्न हो रही है। लेकिन उदयातिथि में 30 मार्च गुरुवार 2023 को ही रामनवमी मनाई जा रही है।

रामनवमी का पूजा मुहूर्त

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम का अवतार दोपहर 12.05 बजे हुआ था। इसलिए रामनवमी की पूजा मध्याह्न में ही की जाती है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 11.11.38 से 13.40.20 तक है। इसमें सबसे शुभ समय दोपहर 12.25 के आसपास का माना जा रहा है।

इस दिन बन रहे कई योग

अरसे बाद भगवान राम के अवतरण दिवस पर इतने शुभ योग बन रहे हैं। दृक पंचांग के अनुसार रामनवमी 2023 के दिन ये शुभ समय बन रहे हैं।


रामनवमी के दिन शुभ समय (दृक पंचांग)


ब्रह्म मुहूर्त 4.42 एएम से 5.28 एएम
अभिजीत मुहूर्त 12.00 पीएम से 12.50 पीएम
गोधूलि मुहूर्तः 6.34 पीएम से 6.57 पीएम
अमृतकालः 8.18 पीएम से 10.06 पीएम

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गुरु पुष्य योगः 10.59 पीएम से अगले दिन 31 मार्च 6.14 एएम
अमृत सिद्धि योगः 10.59 पीएम से अगले दिन 31 मार्च 6.14 एएम
विजय मुहूर्तः 2.28 पीएम से 3.18 पीएम
निशिता मुहूर्तः 31 मार्च 12.01 एएम से 12.48 एएम
सर्वार्थ सिद्धि योगः पूरे दिन
रवि योगः पूरे दिन

कुछ दूसरे कैलेंडर के अनुसार
सर्वार्थ सिद्धि योग : सुबह 6.06 से रात 10.59 तक
गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि योग तीस मार्च सुबह 10.59 बजे से 31 मार्च सुबह 6.13 बजे तक
गुरु योग और रवि योगः दिनभर (सूर्योदय से सूर्यास्त तक)

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श्रीराम अवतार की प्रमुख बातें (interesting fact shriram)


1. रावण का उद्धारः श्रीराम के अवतार का प्रमुख मकसद रावण के अत्याचारों से मनुष्यों, ग्रहों और देवताओं को मुक्त करना था। इसी के साथ भगवान शिव के अनन्य भक्त रावण का उद्धार भी करना था, इसी के साथ मानव जाति के सामने जीवन जीने का उदाहरण प्रस्तुत करना था, जिससे मर्यादा के उत्कर्ष की ओर मानव बढ़े और लोककल्याण सुनिश्चित हो।


2. राम जन्म की कहानीः काफी समय तक राजा दशरथ को कोई पुत्र नहीं हुआ, इस पर राजा दशरथ के कहने पर वशिष्ठजी ने श्रृंगी ऋषि को बुलाया और पुत्रकामेष्टि यज्ञ का आयोजन किया। इसके फलस्वरूप राजा दशरथ की तीनों रानियों से चार पुत्र हुए। इनमें से माता कौशल्या के गर्भ से भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में अवतार लिया। इसके अलावा शेषनाग ने सुमित्रा के गर्भ से लक्ष्मण के रूप में अवतार लिया, वहीं नारायण के शंख ने शत्रुघ्न के रूप में अवतार लिया, जबकि सुदर्शन चक्र ने कैकयी के गर्भ से भरत के रूप में अवतार लिया।


3. कब हुआ था श्रीराम का जन्मःधार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान राम का जन्म त्रेता और द्वापर के संधिकाल में हुआ था, यह घटना लाखों साल पुरानी मानी जाती है, लेकिन कुछ विद्वान आधुनिक शोध पर इस घटना को 5114 ईं.पू. के आसपास मानते हैं, जो आज से करीब 7136 वर्ष पहले दोपहर 12.05 बजे घटी थी, उस समय अभिजित मुहूर्त था।


4. जन्म के समय किस स्थिति में थे ग्रहः वाल्मिकी रामायण के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र के समय जब पांच ग्रह अपने उच्च स्थान पर थे, तब हुआ था। इस समय सूर्य मेष में 10 डिग्री पर मंगल मकर में 28 डिग्री पर बृहस्पति कर्क में 5 डिग्री पर शुक्र मीन में 27 डिग्री पर शनि तुला में 20 डिग्री पर थे।


5. रामनवमी के दिन रामचरित मानस या रामरक्षा स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। इसके अलावा भगवान की प्रतिमा को झूले में रखकर झुलाना चाहिए, रामलला स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। कई जगह पालकी और शोभायात्रा निकाली जाती है।



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