Vaishakh Amavasya 2023: कथा से समझिए वैशाख अमावस्या का महत्व, इस दिन पिंडदान सहित करें यह काम

वैशाख अमावस्या 2023 मुहूर्तः पंचांग के अनुसार वैशाख अमावस्या 2023 की शुरुआत 19 अप्रैल सुबह 11.23 बजे से हो रही है, यह तिथि 20 अप्रैल सुबह 9.41 बजे संपन्न हो रही है। इसलिए उदयातिथि में 20 अप्रैल को वैशाख अमावस्या मनाई जाएगी।

इस दिन स्नान दान का शुभ मुहूर्त सुबह 4.23 बजे से 5.07 बजे तक है। जबकि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5.51 से रात 11.11 बजे तक।


इस दिन राहुकाल दोपहर 1.58 से 3.35 बजे तक
सूर्य ग्रहणः सुबह 7.04 से दोपहर 12.29 बजे तक (हालांकि सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा)

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वैशाख अमावस्या के दिन यह काम करना चाहिए


1. वैशाख अमावस्या के दिन पितरों की शांति, काल सर्प दोष निवारण, ग्रह दोष से छुटकारा के लिए उपाय किए जाते हैं।
2. इस दिन व्यक्ति को उपवास रखना चाहिए। गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान, भगवान विष्णु की पूजा और श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करना चाहिए।
3. अमावस्या के दिन नकारात्मकता बढ़ जाती है। मान्यता है कि इससे नकारात्मक शक्तियां व्यक्ति को अपने प्रभाव में लेने लगती हैं। इसके निवारण के लिए इस दिन लोगों को हनुमानजी का नाम जप करते रहना चाहिए। हो सके तो हनुमान चालीसा का पाठ करें।

4. ऐसा व्यक्ति जो भावुक होता है, उस पर अमावस्या का अधिक प्रभाव होता है। इसलिए व्यक्ति को आज के दिन पूजा पाठ में ध्यान लगाना चाहिए। मन पर नियंत्रण रखने का प्रयास करना चाहिए।
5. इस दिन तामसिक खाद्य पदार्थों से दूर रहना चाहिए। इसका शरीर के साथ आने वाले समय पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।

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वैशाख अमावस्या की कथा

पुराने समय की बात है, धर्मवर्ण नाम के ब्राह्मण थे। वह धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे, एक बार उन्होंने किसी महात्मा से सुना कि कलियुग में भगवान के नाम स्मरण से अधिक पुण्य किसी कार्य में नहीं है। पहले जो पुण्य यज्ञ से मिलता था, अब वह भगवान के नाम स्मरण से मिल जाता है। इस बात से धर्मवर्ण बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने सन्यास ले लिया और भ्रमण पर निकल गए।

भ्रमण करते-करते धर्मवर्ण एक दिन पितृ लोक पहुंच गए। उन्होंने देखा कि यहां पितर अत्यंत कष्ट में हैं, वजह पूछने पर बताया कि उनकी यह दशा धर्मवर्ण के सन्यास के कारण हुई है। क्योंकि अब उनके लिए पिंडदान करने वाला कोई नहीं है, यदि वे फिर से गृहस्थ जीवन की शुरुआत करें, संतान उत्पन्न करें तो उन्हें राहत मिल सकती है। इस पर धर्मवर्ण फिर सांसारिक जीवन में लौटे और वैशाख अमावस्या पर विधि विधान से पिंडदान कर पितरों को कष्ट से मुक्ति दिलाई।



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