पीले वस्त्र पहनें : इस माह में आपको अधिकतर मौकों पर पीले वस्त्र पहनना चाहिए। यह आपके भाग्य को जागृत करेगा और जीवन में शुभता को बढ़ाएगा।
सूर्य को अर्घ्य दें : प्रतिदिन सूर्य मंत्र 'ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः' का जाप करते हुए सूर्यदेव का पूजन-अर्चन करें। प्रतिदिन स्नान करके सूर्यदेव को जल अर्घ्य अर्पित करें। एक तांबे के पात्र से जल लेकर उसमें रोली, लाल पुष्प, अक्षत, गुड़ डालकर आसन पर खड़े होकर 'ॐ आदित्याय नमः' मंत्र से अर्घ्य चढ़ाएं। सूर्य अर्घ्य के पश्चात अपनी मनोकामना कहें, भगवान सूर्य नारायण आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करेंगे।
दान करें : पौष मास में अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीबों या असहाय को तिल, गुड़, गर्म वस्त्र, कम्बल आदि का दान अवश्य करें। इसके अलावा तांबा दान करना भी शुभ माना जाता है।
तर्पण और पिंडदान : पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पौष मास में पूर्वजों के निमित्त तर्पण, पिंडदान, नदी स्नान व अर्घ्य तथा दान-पुण्य के कार्य अवश्य करें। इससे पितृ दोष दूर होगा और सभी अटके कार्य पूर्ण होंगे।
शनि दोष से मुक्ति: यदि आपकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती, ढैया, दशा या महादशा चल रही है तो किसी मजदूर, गरीब या जरूरतमंद को अनाज या काला सफेद कंबल दान करें। इससे शनि दोष से मुक्ति मिलेगी।
भाग्य को करें जागृत : यदि आपको लगता है कि किस्मत का साथ नहीं मिलता है या कोई भी काम बनते बनते बिगड़ जाते हैं तो प्रतिदिन गाय को हरी घास या पालक खिलाएं। इसे आपके कार्य में आ रही बाधा दूर होगी। यदि रोज गाय नहीं मिल पा रही है तो कुत्ते को रोटी खिला सकते हैं।
गृह कलेश से मुक्ति के लिए : यदि घर में आए दिन कलेश होता रहता है तो पौष माह के हर शुक्रवार को पीपड़ के पेड़ की जड़ में खिचड़ी अर्पित करें। इससे घर-परिवार में सुख-शांति कायम होगी।
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