राजसत्ता की देवी व शत्रुओं पर विजय दिलाने वाली देवी के नाम से विश्व विख्यात मां बगलामुखी (maa baglamukhi) का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह सभी प्रकार के संकट और शत्रुओं से बचाने वालीं हैं। ऐसे में देश के अंदर मां बगलामुखी (maa baglamukhi) के देश भर में कई पावन पीठ (maa baglamukhi holy places) हैं। माना जाता है कि इन पावन पीठों (maa baglamukhi holy places) के दर्शन मात्र से साधक के समस्त समस्याएं दूर होने के साथ ही उनकी समस्त मनोकामनाएं भी पूर्ण हो जाती हैं। बगलामुखी देवी (maa baglamukhi) बाएं हाथ से शत्रुओं की जिह्वा का अग्रभाग तथा दाएं हाथ में मुद्गर पकड़े हुए शत्रुओं का नाश करने वाली हैं। माना जाता है कि दस महाविद्याओं में बगलामुखी माता (maa baglamukhi) में इतनी शक्ति है जो भाग्य में लिखी चीजों को भी बदल देती हैं।
मान्यता के अनुसार मां बगलामुखी (maa baglamukhi) माता के स्तोत्र को सुनने व पाठ करने से साधक को विद्या, लक्ष्मी, यश, कीर्ति, ऐश्वर्य, संतान सुख आदि की प्राप्ति होती है। यहां तक की मां बगलामुखी (maa baglamukhi) की साधना करने से कोर्ट-कचहरी के मामलों और राजनीति के मुकाबलों में विजय की प्राप्ति होती हैं। तो चलिए जानते हैं ऐसी दिव्य कृपा बरसाने वाली देवी मां बगलामुखी (maa baglamukhi) माता के पावन तीर्थों (maa baglamukhi holy places) के बारे में-
मां पीतांबरा पीठ (Maa Pitambara Peeth)
माता बगलामुखी (maa baglamukhi) के प्रसिद्ध मंदिरों में सबसे पहला नाम मध्यप्रदेश के दतिया का आता है। यहां मौजूद मां बगलामुखी (maa baglamukhi) का ऐतिहासिक मंदिर महाभारत काल का माना जाता है। मां बगलामुखी (maa baglamukhi) को यहां पीतांबरा माता के नाम से पुकारा जाता है। माना जाता है कि आचार्य द्रोण के पुत्र अश्वत्थामा चिरंजीवी होने के कारण आज भी इस मंदिर(maa baglamukhi holy places) में प्रतिदिन देवी की पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं। वहीं इस मंदिर में दिन में तीन बार माता का स्वरूप बदलता है। माता के इस शक्तिपीठ में देश-विदेश की नामी गिरामी हस्तियां माता का आशीर्वाद लेने आ चुकी हैं और आती रहती हैं।
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कोटला (Maa Bamleshwari)
मां बगलामुखी (maa baglamukhi) का एक भव्य मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के कोटला में मौजूद है। यहां 138 सीढ़ियों को चढ़कर माता के भवन में जाना होता है। वहीं इस मंदिर (maa baglamukhi holy places) को भी महाभारतकालीन माना जाता है। लेकिन इस मंदिर की वर्तमान संरचना की स्थापना सन् 1810 में होना माना गया है। मान्यता के अनुसार पांडवों ने अज्ञातवास के समय इसी मंदिर में मां बगलामुखी की साधना की थी। मां बगलामुखी के इस सिद्ध मंदिर में देश के कई बड़े नेता पूजा करवा चुके हैं।
त्रिशक्ति माता (Trishakti Mata)
मध्य प्रदेश के नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे मां बगलामुखी (maa baglamukhi) का यह मंदिर मौजूद है। द्वापर युग का यह मंदिर (maa baglamukhi holy places) अत्यंत चमत्कारिक माना जाता है। मान्यता के अनुसार श्रीकृष्ण के निर्देश पर ही माता के इस मंदिर की स्थापना महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए महाराजा युधिष्ठिर ने की थी।
वनखंडी (Vankhandi temple)
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित मां बगलामुखी (maa baglamukhi) का मंदिर वनखंडी नामक स्थान पर है। इस मंदिर का नाम श्री 1008 बगलामुखी वनखंडी मंदिर (maa baglamukhi holy places) है। यह मंदिर भी महाभारतकाल का माना गया है। मान्यता के अनुसार कांगड़ा के राजा सुशर्मा चंद्र घटोच ने महाभारत काल में इस मंदिर में माता की विशेष साधना की थी।
मां बमलेश्वरी (Maa Bamleshwari)
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले से लगभग 40 किमी दूर पहाड़ी पर मां बगलामुखी (maa baglamukhi) का यह मंदिर स्थित है। यहां पर मां बगलामुखी के भक्त उन्हें मां बम्लेश्वरी कहकर बुलाते हैं। हर वर्ष आश्विन और चैत्र की नवरात्रि के दौरान यहां माता के मंदिर (maa baglamukhi holy places) में प्रति भव्य मेला लगता है। माता के इस दरबार में लोग दूर-दूर से आशीर्वाद लेने आते हैं।
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खरगोन (Navagraha Temple)
मध्य प्रदेश के खरगोन में कुंदा नदी के किनारे प्रसिद्ध नवग्रह मंदिर (maa baglamukhi holy places) में भी मां बगलामुखी (maa baglamukhi) की विशेष प्रतिमा स्थापित है। माना जाता है कि यहां मां बगलामुखी (maa baglamukhi) की पूजा से नवग्रहों से जुड़े सारे दोष दूर हो जाते हैं। हर साल नवग्रह मेला भी यहां लगता है।
मुम्बादेवी (mumbadevi)
मां बगलामुखी (maa baglamukhi) माता ‘तुलजा भवानी’ के रूप में महाराष्ट्र की कुल देवी हैं। इनका दूसरा नाम ‘मुम्बा देवी’ भी है। ‘मुम्बादेवी’ के नाम पर ही इस प्रदेश की राजधानी का नाम मुंबई रखा गया।
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