Chaitra Navratri 2023: जल्द शुरू होने जा रहा है मां दुर्गा का पर्व, चैत्र नवरात्रि में इन मंदिरों में उमड़ती है भक्तों की भीड़

Chaitra Navratri 2023/Durga Maan Shaktipeeth/ Maa Durga Famous Temple in India: मां दुर्गा की आराधना का पर्व नवरात्रि जल्द ही शुरू होने जा रहा है। इस साल यह पर्व 22 मार्च को शुरू होगा। हिन्दु कैलेंडर के मुताबिक चैत्र का महीना शुरू हो चुका है। इसलिए चैत्र माह के ये नवरात्रि चैत्र नवरात्रि कहलाते हैं। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है। माता के भक्तों के लिए नवरात्रि का पर्व बेहद खास होता है। इसीलिए इन नौ दिनों में माता के मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। हजारों-लाखों की संख्या में श्रद्धालु मां दुर्गा का आशीर्वाद लेने माता के दरबारों में पहुंचते हैं।

अगर आप भी चैत्र नवरात्रि के दौरान देश के विभिन्न माता मंदिरों में जाकर मां की पूजा-अर्चना कर उनका आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो पत्रिका.कॉम के इस लेख को जरूर पढ़ लें। इस लेख में हम आपको बता रहे हैं माता उन खास मंदिरों के बारे में जहां पूजा-अर्चना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। हर काम बनने लगता है। भविष्य संवरने लगता है।

माता के प्रसिद्ध मंदिर

मां कामाख्या मंदिर
कामाख्या माता का मंदिर भी प्रमुख शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यह मंदिर गुवाहाटी में स्थित है और एक गुफा के भीतर मौजूद है। नवरात्रि के मौके पर इस मंदिर में हजारों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं।


पूर्णागिरी मंदिर
देवभूमि उत्तराखंड में पूर्णागिरी मंदिर स्थित है। इसे अत्यंत चमत्कारी शक्ति पीठ माना गया है। कहा जाता है कि अभी कुछ वर्षों पूर्व तक ही यहां शाम को रुकने की मनाही थी, वहीं शाम के समय यहां से आने वाला सुमधुर संगीत बहुत कम और उन चंद सिद्ध लोगों को ही सुनाई देता था जो यहां शाम के समय मौजूद रह जाते थे, लेकिन यह संगीत कहां से आता है इसकी जानकारी न होने से उनके लिए भी इस संगीत के स्थान तक पहुंचा मुमकिन नहीं था। वहीं शाम के समय यहां लोगों को रुकने नहीं देने का कारण यह था कि शाम होते ही यहां बाघ यानि देवी मां का वाहन आ जाता था। दक्ष प्रजापति की कन्या और शिव की अर्धांगिनी माता सती की जली हुई देह लेकर जब भगवान शिव शंकर आकाश में विचरण करने लगे, तो भगवान विष्णु ने शिव शंकर के ताण्डव नृत्य को देखकर उन्हें शांत करने की दृष्टि से सती के शरीर के अंग पृथक-पृथक कर दिए। कहा जाता है कि तभी माता सती की नाभि का भाग यहां गिरा था।

 

मां वैष्णो देवी मंदिर
चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में मां वैष्णो देवी मंदिर के दरबार में हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। जम्मू कश्मीर के कटरा जिले में स्थित वैष्णो देवी मंदिर देश के 108 शक्तिपीठों में से एक माना गया है। मां वैष्णो देवी को दुर्गा माता का स्वरूप माना जाता है। मां वैष्णो देवी पवित्र गुफा के अंदर चट्टानों के रूप में निवास करती हैं। साल में दो बार नवरात्रि आते हैं। दोनों ही नवरात्रि में यहां भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ता है।

काली मंदिर
कोलकाता का कालीघाट मंदिर दुनियाभर में मशहूर है। यहां नवरात्रि के दौरान दुर्गा पूजा की छटा देखते ही बनती है। मान्यता है कि आज जहां पर यह मंदिर है, उस स्थान पर देवी सती के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था। नवरात्रि के दिनों में इस मंदिर में हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ती है। माना जाता है कि मंदिर 2 हजार साल से भी ज्यादा पुराना है।

 

महाकाली देवी मंदिर
महाकाली देवी मंदिर प्राचीन शहर उज्जैन की शिप्रा नदी के किनारे पर बसा हुआ है। यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण ने संदीपनी आश्रम में अपनी शिक्षा ग्रहण की थी। यहां स्थित महाकाली देवी का मंदिर भी काफी लोकप्रिय है। चैत्र नवरात्रि के दौरान यहां भी दर्शन कर माता दुर्गा का आशीर्वाद लिया जा सकता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार आज जहां पर यह मंदिर है, उस जगह पर देवी सती का ऊपरी होंठ गिरा था। यहां ग्रह कालिका, महालक्ष्मी और सरस्वती अन्य देवी रूप भी हैं।

चामुंडेश्वरी मंदिर
मां दुर्गा का स्वरूप मां चामुंडेश्वरी का मंदिर कर्नाटक के मैसूर में है। यह मंदिर भी पहाड़ी की चोटी पर है। मान्यता है कि यहां माता सती के सिर के बाल गिरे थे। मां चामुंडेश्वरी मंदिर की वास्तुकला बड़ी ही अनूठी और खूबसूरत है। यहां आने वाले भक्त माता के दर्शन के साथ ही यहां की वास्तुकला का भी आनंद ले सकते हैं।

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