यहां 13 फीट ऊंचे बलवारी के हनुमानजी बिना किसी सहारे के खड़े हैं

सुहाना मौसम, कभी रिमझिम फुहारें तो कभी झुरझुरी-सी हवाएं, हरियाली की चादर ओढ़े खिली-खिली सी प्रकृति, पल्लवित होते पुष्प और अप्रतिम नैसर्गिक सौंदर्यता जिसे देखते ही मानव मन प्रफुल्लित हो जाता है। ऐसे ही मनभावन मौसम में हम ‘बलवारी के हनुमान मंदिर’ पहुंचे। यह मंदिर इन्दौर से लगभग 125 किलोमीटर दूर है। बेटमा धार से अमझेरा के रास्ते से लगभग 37 किलोमीटर पर यह चमत्कारी हनुमान मंदिर है। यहां हनुमानजी की लगभग 13 फीट ऊंची प्रतिमा है, जो बिना किसी सहारे एक चबूतरे के बीच खड़ी है।

यूं तो हम अक्सर भगवान के दर्शन सिर झुकाकर करते हैं लेकिन इस मंदिर में सिर ऊंचा करके ही आपको हनुमानजी के दर्शन करने को मिलेंगे और इस वक्त तो ऐसा लगता है मानो प्रभु स्वयं झुककर आशीष दे रहे हों। मानो भगवान हमें झुकना सिखा रहे हों। कहते हैं यहां हर व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और इसके कई प्रत्यक्ष प्रमाण भी बताए जाते हैं।

व्यापारी को सपने में दिखे भगवान, ढूंढते हुए पहुंचे
ग्रामीणों ने हमें बताया कई बार छत डालने की कोशिश करने के बाद छत यहां टिक ही नहीं पाती थी। फिर जब सालों बाद इंदौर के एक व्यापारी को हनुमानजी ने स्वप्न दिया और छत डालने की बात कही और व्यापारी बलवारी हनुमान मंदिर को ढूंढते हुए आए व हनुमानजी के मंदिर पर छत डाली। तब से आज तक यह छत टिकी है। हनुमान जयंती को गुजरात, राजस्थान व महाराष्ट्र से यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। हनुमान जयंती के दिन सुबह 7 बजे आरती की जाती है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं।

बताया जाता है कि एक बार कुछ महिलाओं के ग्रुप के साथ वहां दर्शन के लिए पहुंचीं तो उनमें से एक महिला ने अपनी बेटी के विवाह की मनोकामना पूर्ण करने की मन्नत मांगी थी और वो काफी कम समय में ही पूर्ण भी हो गई। यहां उनके साथियों ने उन्हें प्रभु के अनगिनत चमत्कारों के बारे में बताया। बलवारी में श्रीहनुमान जी का दिव्य सौम्य स्वरूप है इनके दर्शन करते हुए मन उल्लास से भर जाता है।



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